हर दम हम तेरे ख्यालों मे होतें हैं,
दूर होके भी हम कब तुमसे जुदा होते हैं।
सब भुला देते हो मोहब्बत मे तुम,
मुझको यंकी है तुम जैसे खुदा होते हैं।
नाराज़ होकर भी तुम नाराज़ नहीं होते,
तुमसी मोहब्बत करने वाले कम होते हैं।
भुला देते हो तुम अपने सारे ग़म भी,
मेरे ग़म ही क्यूँ तुम्हारे अपने होते हैं।
‘चाह’ क्यूँ मरते हो तुम घुट-घुट कर,
“आशिक़ों” के मरने के अंदाज़ जुदा होते हैं।