कोई हमसफर तो मिले।


आज हम कुछ अपने जानने वालों से मिले,

सभी कहें की हम अपने दोस्तों से मिले।

लौट गई है हर मौजे-दर्द टकराकर हमसे,

कुछ सीने हमें भी तो फ़ौलादों के मिले।

दर्द उठता है दूसरों का दर्द देखकर,

क्या करें दिल हमें इन्सानों के मिले।

सच्चाई की राह पर तुम रुक क्यों गए,

चलें तो ‘चाह’ पर कोई हमसफर तो मिले।

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